API क्या है।
API का पूरा नाम Application Programming Interface होता है। यह एक सॉफ्टवेयर Interface होता है। जो दो Application को बिना किसी हस्तक्षेप के एक दूसरे के साथ डेटा का आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है। इसका उपयोग करके किसी Application या ऑपरेटिंग सिस्टम की डाटा या Services को किसी दूसरे Application में Access किया जा सकता है। इन्टरनेट पर कई सारे ऐसी वेबसाइट है। जो किसी दूसरे वेबसाइट की डेटाबेस की डाटा को Access करती है। इससे समय और Cost दोनो की बचत होती है। API बहुत सारे Functions, प्रक्रियाओ, Objects और Protocols का संग्रह होता है।उदाहरण के लिये -
जब आप ऐसे वेबसाइट पर जाते है। जहा Login के लिये Google और Facebook का Option दिया गया होता है। जैसे ही आप Google या Facebook से Login करते है। वैसे ही वह वेबसाइट API का इस्तेमाल करके आपको उस वेबसाइट में Login करा देती है।API के उदाहरण।
API के बहुत सारे उदाहरण है। लेकिन उनमें से कुछ प्रचलित उदाहरण इस प्रकार है।Google Map API
इस API का उपयोग किसी वेबसाइट या Application में Google Map को Embded करने के लिये किया जाता है। जिससे उस वेबसाइट या Application में दिये गये Location की जानकारी प्राप्त किया जा सके। यह बिल्कुल Free होता है।YouTube API
इस API का इस्तेमाल YouTube के Video को किसी वेबसाइट या Application में Integrate करने के लिये जाता है। जिससे उस वेबसाइट या Application में YouTube के वीडियो को देखा जा सके। यह भी बिल्कुल Free होता है।Google SignIn API
इस API का इस्तेमाल किसी वेबसाइट या Application में Google से SignIn करने के लिये लगाया जाता है। इससे उपयोगकर्ता Google के Account से उस वेबसाइट या Application में Login कर सकते है। जिससे उपयोगकर्ता को अलग से Account बनाने की जरूरत नही पड़ती है।Ticket Booking API
ऐसी API का इस्तेमाल Train, बस, Flight तथा Movie इत्यादि की टिकट Book करने के लिये किया जाता है। जैसे- जब हम लोग IRCTC से ट्रेन की टिकट Book करते है। तब IRCTC उस समय Indian Railway की API इस्तेमाल कर रहा होता है।Payment Gateway API
Payment Gateway API का इस्तेमाल किसी अन्य, मौजूदा वेबसाइट या Application के साथ Integrate करने के लिये किया जाता है। इससे उपयोगकर्ता को Payment करने में आसानी होता है। इसको Payment Processing API भी कहा जाता है।E-Commerce API
ऐसी API का इस्तेमाल E-Commerce कम्पनी के Products को किसी दूसरे वेबसाइट पर Embedd करने के लिये किया जाता है। जिससे कोई ग्राहक उस कम्पनी के Products पर Click करके E-Commerce की वेबसाइट पर जाकर उस Product को खरीद सके।API के प्रकार।
API मुख्य रूप से चार प्रकार का होता है।1- Open API
2- Partner API
3- Internal API
4- Composite API
1- Open API
ऐसे API सार्वजनिक और ज्यादातर मुफ्त होते है। इसका इस्तेमाल कोई भी Developer कभी भी कर सकता है। इसके इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नही लगाई जाती है। इस API को सार्वजनिक करने के पीछे जनहित की भावना होती है। इसे Public API भी कहा जाता है।2- Internal API
ऐसे API का इस्तेमाल किसी कम्पनी या Orgainization के अन्दर होता है। यह API कम्पनी के Team और सिस्टम के बीच डेटा Transfer को सुव्यवस्थित करने के लिये होता है। इस प्रकार के API बाहर के उपयोकर्ता से छुपे होते है। इसे Private API भी कहा जाता है।3- Partner API
यह ऐसे API होते है। जिसको Access करने के लिये Developer को License की जरूरत होती है। इस प्रकार के API जनता के लिये उपलब्ध नही होता है। Partner API बिजनेस-टू-बिजनेस उपयोग के लिये पेश किया जाता है। इससे दोनो पक्षो को लाभ मिलता है।4- Composite API
ऐसी API बहुत सारे डाटा Sources और Services का Collection होता है। जो एक ही Request से Access किया जाता है। यह विभिन्न डेटाओ और सेवाओ को आपस में जोड़ता है। इसका इस्तेमाल ज्यादातर Microservice Architecture में होता है।इसे भी पढ़ें।
1. C लैंग्वेज क्या है। C और C++ लैंग्वेज में क्या अन्तर होता है।
API के फायदे।
API के बहुत से फायदे हाेते है। जो इस प्रकार है।1- API कार्यो को स्वचालित करने के लिये कम्पनियों को सक्षम बनाता है।
2- यह Productivity और सेवाओ को बढ़ाता है।
3- API का इस्तेमाल करने पर लागत की बचत होती है।
4- यह Connectivity और सहयोग में सुधार करता है।
5- API ग्राहक के Experience को बढ़ाता है।
6- यह Innovation को प्रोत्साहित करता है।
7- API जटिलता को छुपाकर आसान Interface प्रदान करता है। इसलिये इसका उपयोग करने से Product में Efficiency बढ़ती है।
8- यह Revenue के नये अवसर पैदा करता है।
API के नुकसान।
API के निम्नलिखित नुकसान हाेते है। जो इस प्रकार है।1- API बनाने में काफी ज्यादा समय लगता है।
2- इसमें एक Fixed Scale होना आवश्यक है।
3- API की Maintence में लागत अधिक लगती है।
4- इसकी Functionality सीमित होती है।
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